उत्तराखण्ड

टीएचडीसी की निर्माणाधीन टनल में टकराईं दो लोको ट्रेन, कई मजदूर हुए घायल

Chamoli Tunnel Accident: टीएचडीसी की निर्माणाधीन विष्णुगाड-पीपलकोटी जलविद्युत परियोजना की सुरंग में दो लोको ट्रेन टकरा गई थी। इस दौरान कई मजदूर घायल हुए हैं।

चमोली। टीएचडीसी की निर्माणाधीन विष्णुगाड-पीपलकोटी जलविद्युत परियोजना के अंदर दो लोको ट्रेनें आपस में टकरा गईं। राज्य आपदा प्रबंधन और पुनर्वास सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि  हादसे में कुल 86 लोग घायल हुए। इनमें से 68 लोगों को चमोली के जिला अस्पताल में और 18 लोगों को पिपलकोटी के अस्पताल में भर्ती कराया गया।

चार लोगों को मामूली फ्रैक्चर हुआ, जबकि बाकी लोगों को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई। वे सभी खतरे से बाहर हैं। चमोली के जिलाधिकारी ने घटना की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। आपदा प्रबंधन विभाग भी नोटिस जारी कर रहा है, और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए निर्देश दिए जा रहे हैं।

जलविद्युत परियोजना की 13 किलोमीटर लंबी सुरंग में 100 से अधिक अधिकारी, कर्मचारी और मजदूर काम कर रहे थे। घायलों को अस्पताल ले जाया गया है। घटना रात करीब साढ़े नौ बजे की है। बताया जा रहा है कि चमोली जिले में अलकनंदा नदी पर 444 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना बन रही है। सुरंग के अंदर काम चल रहा था। टनल बोरिंग मशीन के जरिये खुदाई भी की जा रही थी। सुरंग के अंदर काम को तेज गति से करने के लिए भारी भरकम मशीनें लगी थीं। इन्हीं में से दो मशीनें (लोको ट्रेन) आपस में टकरा गईं।

सुरंग के अंदर जिस दौरान हादसा हुआ उस समय 100 से अधिक अधिकारी, कर्मचारी और मजदूर थे। बताया जा रहा है कि इनमें से करीब 86 लोग घायल हुए। हादसे के कारण सुरंग में निर्माण कार्य भी रोका गया। हादसे की सूचना मिलते ही जिलाधिकारी गौरव कुमार एवं पुलिस अधीक्षक सुरजीत सिंह पंवार जिला अस्पताल गोपेश्वर पहुंचे और वहां भर्ती घायलों का हालचाल जाना तथा चिकित्सकों को बेहतर उपचार के निर्देश दिए।

बता दें कि विष्णुगाड परियोजना में पहले भी बड़ा हादसा हो चुका है। 2021 में ग्लेशियर फटने से परियोजना साइट पर कई मजदूर लापता हो गए थे। कई की मृत्यु हो गई थी। सात फरवरी 2021 को ग्लेशियर फटने से ऋषिगंगा नदी में बाढ़ आ गई थी। इससे तपोवन-विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना साइट पर भारी नुकसान हुआ था। जल विद्युत परियोजना की सुरंग में मलबा और पानी भर गया ता। इस हादसे में कई मजदूर लापता हो गए थे। सौ से अधिक मजदूरों की मौत हो गई थी।

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